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वन पट्टा देने के मामले में अफसर सुस्त, कुल आवेदन 98 हजार, स्वीकृति सिर्फ 63 हजार को

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द फॉलोअप डेस्क 

झारखंड सरकार के अफसर वन पट्टा का अधिकार देने के मामले में काफी सुस्त दिखाई पड़ रहे हैं। खबर है कि योजना लॉन्च होने के बाद से अब तक कुल 98500 आवेदन विभाग को प्राप्त हो चुके हैं। इसके बदले में सिर्फ 63 हजार लोगों को वन अधिकार का पट्टा मिल सका है। इसी तरह सामुदायिक वन पट्टा के लिए विभाग को लगभग तीन हजार आवेदन मिले हैं। इसके एवज में 2015 आवेदन को ही स्वीकृति मिली है। मिली खबर के मुताबिक 31 हजार वन पट्टा आवेदनों को किसी न किसी कारण से अस्वीकृत कर दिया गया है। दूसरी ओर ग्रामसभा, एसडीओ और उपायुक्त के स्तर पर लगभग 85 हजार आवेदन विचार के लिए फाइलों में डाल दिया गया है।

झारखंड की एक करोड़ आबादी वन पर आश्रित 
राज्य में सक्रिय झाखंड वन बचाओ आंदोलन मंच ने अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि राज्य की एक करोड़ से अधिक की आबादी किसी न किसी रूप से वन पर आश्रित है। इनमें आदिवासी और गैरआदिवासी दोनों तरह के लोग शामिल हैं। मंच ने अब तक सिर्फ 63 हजार लोगों को वन पट्टा दिये जाने पर चिंता जाहिर की है। कहा है कि ऐसे में वनों की सुरक्षा पर सवाल खड़े होते हैं। इसी तरह झारखंड वन अधिकार मंच और इंडियन स्कूल ऑफ बिजनेस ने मिलकर इस दिशा में एक सर्वे किया है। इस सर्वे के मुताबिक झारखड के लगभग 32 हजार गांवों में से लगभग 15 हजार किसी न किसी रूप से वन से प्रभावित हैं या वन पर आश्रित हैं। इस लिहाज से वन अधिकार अधिनियम के मुताबिक 1882429 हेक्टेयर भूमि पर वन अधिकार का पट्टा दिया जाना चाहिये। 

हेमंत सरकार की प्राथमिकताओं में है वन पट्टा योजना 

वनों पर आश्रित जनजातियों को वन अधिकार का पट्टा देना हेमंत सरकार की प्राथमिकताओं में शामिल है। इसके पीछे दूरगामी सोच ये है कि वन पर आश्रित लोग ही वनों की रक्षा कर सकते हैं। लगातर हो रहे पेड़ों के कटाव और वनों की सुरक्षा के लिए बनाये गये कानून अब तक असफल ही साबित हुए हैं। ऐसे में झारखंड सरकार ने वन पर आश्रित लोगों को वन अधिकार पट्टा देने के लिए योजना की शुरुआत नये सिरे से की है। इसमें निजी और सामुदायिक, दोनों स्तर पर पट्टा देने की बात कही गयी है। इस बाबत सभी जिलों के उपायुक्त को अपने स्तर से योजना की मॉनिटरिंग का आदेश दिया गया है। इसके बाद भी अफसरों की सुस्ती योजना के सफल होने पर संशय पैदा करने वाली है।